बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

राइट टू रिजेक्ट का इस्तेमाल यानि कि आप कायर हैं ...

1.आप राहुल भैया को भी वोट नही देंगें , आप नरेंद्र मोदी के घोर विरोधी हैं , आप `आप` वाले केजरीवाल को किसी लायक नही मानते , आप सपा, बसपा को भी वोट नही देंगें , निर्दलीय पर भी मुहर नही लगाएंगें , आप राइट टू रिजेक्ट पर बटन दबाएंगें ... दरअसल आप पलायनवादी है ... आपको मुफ्त की खाने की बीमारी है ... जब इतना ही असंतोष है तो चुनाव में खड़े हो जाइए और यदि बचना ही चाहते हैं तो अपने आस पास के किसी शख्स को जो आपकी नजर में परफेक्ट हो उसको मैदान में लाइए ... वरना इतना याद रखिएगा राइट टू रिजेक्ट वाले बटन का इस्तेमाल आपकी कायरता का प्रमाण पत्र है, और कुछ भी नही ... इस थोथेबाजी का कोई मतलब नही कि कोई भी आपके मानदंडो पर खरा नही ... हम कम से कम इतना तो कर ही सकते है कि उम्मीदवारों की तुलना कर कम बुरे इंसान को लोकतंत्र के मंदिर में स्थापित करें । राइट टू रिजेक्ट वाला बटन नकारात्मकता का परिचायक है ... और आपके पास इसके लिए यदि समाज की बेहतरी का तर्क है तो फिर फिर इतना तो याद रखना ही होगा कि बेहतर समाज का निर्माण सकारात्मक प्रयासों से ही संभव है।

2.आप राइट टू रिजेक्ट वाला बटन दबाएंगें क्योंकि आपके मुताबिक सारे अयोग्य हैं , आप चुनावी मैदान में भी नही उतरेंगें क्योंकि आपके मुताबिक फिर आपको ब्लैक मनी के समंदर का गोताखोर बनना पड़ेगा (और आप तो ईमानदारी की प्रतिमूर्ति हैं न, ऐसा पाप कैसे कर सकेंगें) ... कोई नया मैदान में आएगा तो कहेंगें कि वोटकाटू हैं या फिर हो न हो यह भी अपनी गाड़ी का डीजल चुनाव के बाद वसूलेगा ... आप ही सोचिए आपके पास जब कुछ नही करने के अनगिनत तर्क है, अनेकों मजबूरियां हैं तो उनका क्या जो चुनावी दंगल में चित-पट में लगे हैं ... ऐसे में आपके राइट टू रिजेक्ट वाले बटन का इस्तेमाल आपके स्वार्थपने को साबित करेगा कि जो आजन्म ईमानदार दिखने का स्वार्थ भी पाले हुए है और सामने वाले को गरियाने-गलियाने का मौका भी नही छोड़ना चाहता ... राजनीतिक दल समाज से अलग किसी बियावान जगत की पैदावार नही है , वो आपकी इन्हीं छद्म ईमानदारी और स्वार्थपने की फसल काट रहे हैं ... इसलिए बेहतर उम्मीदवार पर मुहर ही एकमात्र विकल्प है ... और वो एक कहावत तो आप जानते ही हैं - आप बदलिए , जग बदलेगा ।

(फेसबुक पर किए दो अपडेटों का समुच्चय)

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