हमें गर्व है
अपने 'जनतंत्र' पर
दुनिया के सबसे बड़े 'लोकतंत्र' पर
दरअसल हम भुलावे में है
यह जनतंत्र के होने का भ्रम है
हमें लगता है
हम...हम भारत के लोग सरकार बनाते हैं
और बदलते भी
लेकिन यह बदलाव भी एक भ्रम है
हकीकत नही
सरकारें बदलती है
नाम बदलते है,चेहरे भी
लेकिन हकीकत नही
हमें लगता हैकि
हमें विरोध की आजादी है
लेकिन इस विरोध के नख दांत
'जनतंत्र' की आस्तीन में हैं
आखिर ऐसा क्यों है कि
साठ सालों बाद भी
सरकार यह नही तय कर पायी कि
गरीबी क्या है
और गरीब कितने
कह सकते हैं कि
यदि जनतंत्र है भी, तो अंधी
जिसे खाली पेट नही दिखाई देते
फर्जी आंकड़े सच्चे लगते है
(24Aug2010)
अपने 'जनतंत्र' पर
दुनिया के सबसे बड़े 'लोकतंत्र' पर
दरअसल हम भुलावे में है
यह जनतंत्र के होने का भ्रम है
हमें लगता है
हम...हम भारत के लोग सरकार बनाते हैं
और बदलते भी
लेकिन यह बदलाव भी एक भ्रम है
हकीकत नही
सरकारें बदलती है
नाम बदलते है,चेहरे भी
लेकिन हकीकत नही
हमें लगता हैकि
हमें विरोध की आजादी है
लेकिन इस विरोध के नख दांत
'जनतंत्र' की आस्तीन में हैं
आखिर ऐसा क्यों है कि
साठ सालों बाद भी
सरकार यह नही तय कर पायी कि
गरीबी क्या है
और गरीब कितने
कह सकते हैं कि
यदि जनतंत्र है भी, तो अंधी
जिसे खाली पेट नही दिखाई देते
फर्जी आंकड़े सच्चे लगते है
(24Aug2010)
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