सोमवार, 17 सितंबर 2012

दर्दिले-दिलों का देवता और दसियों अफसानें

जख्मी दिलों के दर्द को अपनी आवाज की शक्ल देने वाले अताउल्लाह खां भारत तशरीफ ला रहे है, अगले ही महीने। समाचार पढ़कर सालों पहले की याद ताजा हो गयी... एक जमाना था जब चौक-चौराहे पर पर `ये धोखे प्यार के धोखे` और `ओ दिल तोड़ के हंसती हो मेरा` गूंजा करता तो आशिक दिल टटोलने लगते, जख्म गहरा जाता ... मानो उनके दिल की सुराख पर स्प्रिरिट छिड़क दिया गया हो, सनसनाहट-छनछनाहट सी होने लगती ... बेवफाई के मारे और इकतरफा प्रेम रोगी अताउल्लाह खान के नगमों के सहारे दुपहरिया और शामें काटा करते ... एक से एक बढ़कर कहानियां सुनने को मिलती, अव्वल तो यह कि खां सहाब बेवफा प्रेमिका को मार जेल चले गए और पाकिस्तानी सरकार से ये करार हुआ कि जितने गाने वो गाएंगे , उतने दिनों की मोहलत उन्हें मिलेगी ... और फिर क्या था अताउल्लाह खां ने दस हजार से लेकर चालीस हजार तक के रेंज में गाने गाए (अलग-अलग वाचक अलग-अलग आंकड़ों से युक्त रहते) । कभी यह सुनने को मिलता कि खां साहब ट्रक ड्रायवर थे इसलिए सारे ट्रक ड्रायवर फुल वॉल्यूम में `अच्छा सिला दिया तूने मैने प्यार का , प्यार ने ही लूट लिया घर का` बजाते रहते है। एक कहानी यह भी कि फांसी के तख्त पर अपनी अंतिम इच्छा पूछ जाने पर खां साहब ने गाने की इच्छा जतायी। जेलर ने फिर आदेश दिया- जब तक वो गाते रहेगें फांसी की सजा मुल्तवी रहेगी... और फिर तो उन्होंने एक के बाद हजारों गाने गाए । खैर अबके जमाने में ऐसी कहानियां टिकती नही , जन्म के साथ ही चीड़-फाड़ से जूझती-गुजरती मर जाती है, लेकिन वो जमाना ही कुछ और था। वैसे भी आस्था और भावनाएं तर्क की परिधि परवाह कब करती है... और प्रेमी तो खैर अलहदा वैरायटी ठहरे। उसके बाद सन पंचानवे में आयी वेबफा सनम ने मानो इस मिथक पर मुहर लगा दी। चित्रहार में जब भी किशन कुमार `अच्छा सिला दिया तूने मैरे प्यार का` जेल के सीखचों के भीतर से गाते हुए दिखते तो उनकी बेबसी पर विरले ही होगें जिनमें सहानुभूति नही पनप पाती होगी , आंखे तरल न हो जाती होंगी। खैर अताउल्लाह खां साहब तीन बच्चों के पिता है और चार शादियां कर चुके हैं... और किवदंती बन चुकी ये कहानियां महज अफवाह निकली।

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