गुरुवार, 28 जून 2012

अनडेमोक्रेटिक फेसबुक

जब भी फेसबुक पर पोस्ट की गयी किसी तस्वीर,कमेंट या किसी भी सामग्री पर `लाइक` का आप्शन देखता हूं, तो फेसबुक भी अनडेमोक्रेटिक सा लगता है।ये `लाइक` वाला आप्शन नन-आप्शन सा मालूम होता है, अग्रेजी में एक टर्म है- होब्संस च्वाइस, बिल्कुल वैसा ही। फेसबुक से तो अपील यही है कि वो अनलाइक का भी आप्शन दे, डेमोक्रेटिक प्रोसेस में सहमति की चापलूसी औऱ ठकुरसुहाती ,और बहुमत की शांति के बीच असहमति की जगह भी बनी रहनी चाहिए। 

मेरे ख्याल से यदि फेसबुक अनलाइक का ऑप्शन देता, तो कुछ लाइक वाले दूसरे पाले में देखने को मिलते... ऐसे लोगों के साथ पूरी पूरी सहानुभूति है जो फेसबुक की इस संरचनात्मक खामी की वजह से अनलाइक की जगह किसी पोस्ट को लाइक करने को मजबूर होते है... लाइक कई फेसबुकियों के लिए मजबूरी सरीखा है ,या कहें तो उनकी उंगलिया लाइक के बटन को रेसिस्ट ही नही कर पाती और ऐसा स्वाभाविक भी है, आखिर दैनदिनी की थकान , एकरसता के बीच लाइक का बटन दबाना लोगों को गतिवान, उर्जावान होने का अहसास जो कराता है... 

(10Dec2011)

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