रविवार, 24 जून 2012

हत्यारा कौन ?...

मनरेगा में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले कार्यकर्ता नियामत अंसारी की झारखंड के लातेहार में मध्युगीन बर्बर तरीके से पीट पीट कर हत्या कर दी गयी। हत्या किसने की, इस पर तमाम अखबारों और चैनलों को देखकर पढ़कर कंफ्यूजन सा बनता है। अलग-अलग अखबार और चैनलों ने अपना अलग अलग राग अलापा है... आरोपों की जद से कोई भी बाहर नही...माओवादी , लोकल माफिया और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी ... । आरोपों के दायरे में आने वालों का ये व्यापक स्पेक्ट्रम हैरान करने वाला है।हिंदु में छपी खबर में एनआरआईजीए वाच के एक कार्यकर्ता ने इसे दलालों और ठेकेदारों का कारनामा करार दिया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट में शक की सुई एक शीर्ष अधिकारी पर जा ठहरती है, रिपोर्ट के मुताबिक नियामत और उनके साथियों ने महज कुछ दिनों पहले ही मनरेगा में चल रही लूट की पोल खोली थी और 20 तारीख को इस संबंध में एक एफआईआर भी की थी। सहारा की खबर माफिया की तरफ इशारा करती है। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स की खबर माओवादियों को कसूरवार ठहराती है, हालांकि खबर के सूत्र पुलिसिया है लेकिन हेडलाइन के शोर में सूत्र वाली बात दबती हुई दिखती है। ऐसे में पाठक ,दर्शक और श्रोता आखिर जाएं तो जाएं कहां।...अंधे और हाथी की कहानी याद आ गयी , जिसमें हरएक हाथी को अपनी तरह से और अपने नजरिए से डिफाइन करते हैं।

(4March2011)

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