सोमवार, 25 जून 2012

अब हंसी भी नही आती

अब हंसी भी नही आती
और गुस्सा भी
हंसी और गुस्सा
दोनों चूकने लगे है
और शायद
अब इनके होने का
कुछ मतलब भी नही
कामनवेल्थ खेलों के नाम पर
मची लूट
और
लूटने की खुली छूट
और फिर 
अजब-गजब सियासत
केवल गुस्सा
अब नपुंसकता है
और कुछ भी नही
कभी कभी लगता है
डेमोक्रेसी नपुसंक बनाने की कोशिश है
एक सफल कोशिश 

(04Aug2010)

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