अब हंसी भी नही आती
और गुस्सा भी
हंसी और गुस्सा
दोनों चूकने लगे है
और शायद
अब इनके होने का
कुछ मतलब भी नही
कामनवेल्थ खेलों के नाम पर
मची लूट
और
लूटने की खुली छूट
और फिर
अजब-गजब सियासत
केवल गुस्सा
अब नपुंसकता है
और कुछ भी नही
कभी कभी लगता है
डेमोक्रेसी नपुसंक बनाने की कोशिश है
एक सफल कोशिश
(04Aug2010)
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