सोमवार, 25 जून 2012

सवालों का संघर्ष

दुनिया रणभूमि है जहां ढ़ेर सारे सवाल आपस में टकरा रहे हैं। कुछ सवाल मामूली हैं , व्यक्तिगत से मालूम होते... आखिर मैं ही क्यूं ? मेरे साथ ही क्यूं? , कुछ सवाल गैरमामूली से है और काफी कुछ साझे भी आखिर ऐसा क्यूं ? ...सवालों का सामना सवालों से है ,सबके अपने सवाल है । और शायद जवाब इसी टकराहट से निकलेंगें या फिर कोई नया सवाल पैदा होगा। ये दुनिया मानो सवालों का संघर्ष है , जिससे होकर शायद एक नया सवाल पैदा होगा जो सबका सवाल होगा और जवाब के करीब भी।

(20Mar2010)

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