आप दो दर्जन से भी ज्यादा सालों से जेल में
हो । घर-परिवार से दूर, पत्थरों के बीच पत्थरों को तोड़ते हुए। और ऐसे में जेलर महोदय अचानक एक दिन आपकी
आजादी का फरमान जारी कर दें। क्या करेंगें आप ? क्या मनोस्थिति होगी आपकी ? ... शायद रक्त की रफ्तार आपके दिमागी तंतुओं को तिनके के माफिक बहा ले जाए,
दिल इतना तेज धड़के कि स्थिर हो जाए सदा के लिए , हाथ-पैर सुन्न हो जाय ... लेकिन संघर्षों में तपे उस शख्स के तंतु, उसकी अस्थि-मज्जा, उसके दिल-दिमाग की कोशिकाएं किसी और ही तत्व की बनी थी। उस कैदी का जवाब था एक हफ्ते की
नोटिस तो जरुरी है ... पार्टी और परिवार को इसके लिए तैयार होने के लिए। साल 1990
का था , केपटाउन जेल के भीतर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति डी क्लार्क नेल्सन मंडेला
से उनकी रिहाई के बावत मुलाकात को आए थे। मंडेला के इस जवाब के लिए क्लार्क महोदय
तैयार नही थे (और आखिर कोई ऐसे जवाब की कल्पना भी कैसे कर सकता है भला ?)। दरअसल उनका सामना इंसानी सभ्यता की अद्भुत शख्सियतो में से एक से था, एक ऐसी
एतिहासिक घटना से, जिसमें इतिहास का प्रवाह थामकर वर्तमान को खड़ा करने की कूवत थी ।
क्लार्क महोदय ने फिर अपने सहयोगियों से विमर्श किया और आखिरकार मंडेला के अनुरोध
को ठुकरा दिया गया।
साल 1994 ... ब्लैक एंड व्हाइट सलोरा
टीवी के मेरे घर में घुसे महज कुछ ही महीने हुए थे। उन दिनों खेती-बाड़ी के ज्ञान
से लेकर देश-दुनिया के समाचार को परिवार का हर सदस्य भक्ति-भाव से ग्रहण करता।
उन्हीं दिनों मंडेला साहब से हमारा प्रथम परिचय हुआ। दूरदर्शन से मंडेला साहब के शपथ
ग्रहण का शायद सीधा प्रसारण हो रहा था। अपनी चंचला स्वभाव के लिए हमारे इलाके में
मशहूर बिजली भी उस दिन ठिठक गयी, आयी और अपनी आदत के विपरीत कुछ मिनटों के बाद
जाने से मुकर गयी। हमने वो प्रसारण पूरा-पूरा देखा। ...फिर तो दक्षिण अफ्रीका में मशहूर रेनबो कोलिशन के
निर्माण ने दुनिया को चकित कर दिया। नस्ली हिंसा और घृणा की कठोरता को उनकी कोमल
शख्सियत ने पिघलाकर रख दिया। कुछ महीने पहले उनके जीवन पर बनी फिल्म इनविक्टस देखी।
सचमुच कमाल के शख्स हैं वो- दुख, प्रताड़णा के बाद भी क्षमा की अद्भुत शक्ति से
लैस। मंडेला की कहानी , मॉर्गन फ्रीमैन की अदाकारी और फिर विलियम अर्नेस्ट हेनली
की मशहूर कविता इनविक्टस की पंक्तियां – " इन द फेल क्लच ऑफ सरकमस्टांस, आइ हैव नॉट
विन्स नॉर क्रायड अलाउड. अंडर द ब्लजिऑनिंग्स ऑफ चांस , माय हेड इज ब्लडी बट अनबॉड
................आइ एम द कैप्टन ऑफ माय हेड , आइ एम द कैप्टन ऑफ माइ सोल " । फिल्म कब
आंखों के रास्ते दिल-दिमाग पर काबिज हो जाती है , पता भी नही चलता।
प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन ने गांधी जी के बारे में
कहा था - 'आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात का यकीन
कर पाएं कि कभी धरती पर गांधी जैसा कोई शख्स भी पैदा हुआ था।' हमने गांधी जी को नही देखा , लेकिन
नेल्सन मंडेला की ओर निगाह जाती है तो गांधी जी का अक्स दिखता है। यदि अल्बर्ट आइंसटीन
अभी जिंदा होते तो अपने इन शब्दों को दुहराने के लिए मजबूर जरुर होते... और कहते कि आने वाले पीढ़ियों के लिए नेल्सन मंडेला के होने पर यकीन करना न केवल मुश्किल बल्कि कमोबेश नामुमकिन भी होगा।