शनिवार, 31 अगस्त 2013

कानून का घुटना कचक गया है ?

कभी-कभी लगता है कानून को कोई न कोई बीमारी जरुर है। हो सकता है कलर ब्लाइंडनेस का शिकार हो गया हो या फिर आर्थराइटिस का मरीज बन बैठा हो । मेरे हिसाब से हो न हो जोधपुर से इंदौर के बीच के सफर में कानून का घुटना जरुर कहीं न कहीं कचक गया होगा। अब `बेचारा` कानून दो-चार दिन बेडरेस्ट कर ले तो ऐसी क्या आफत आ जाएगी ? ज्यादा फायं-फायं कीजिएगा तो हो सकता है किसी प्रमाणित डॉक्टर का कोई स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र आपको पकड़ा दे कि जनाब मामला जेनुइन है  और आप ही सोचिए... वो बेचारा और कितनों से पंगा ले , कुछ ही तो संगी-साथी हैं उसके । गिनती के लोग ही तो कानून के साथ चाय-चुक्कड़ कर पाते है, हंसी-ठिठोली कर पाते है । और तिस पर ये तो बाबा जी ठहरे।

अब बात थोड़ी पुरानी । राजा भैया जेल से छूटे । पोस्टर चिपका दिया उनके चंपूओं ने सत्य परेशान हो सकता है , पराजित नही । अब बेचारे सत्य को उबकाई आने लगी । आखिर क्या करे ?  पहले ही दबा-कुचला था , अब तो खैर रही सही इज्जत भी नीलाम हो गयी । फिल्मों में अक्सर इस डॉयलॉग से आप दो-चार हुए होंगें जब जमाने की जंजीरों में जकड़ा बाप बच्चों को अपनी मुर्दानी शक्ल में रो (कह) रहा होता है   बेटा हम गरीबों के पास केवल इज्जत ही तो है। मतलब सत्य की बची-खुची इज्जत पर भी डाका डाल दिया भैया जी के छुटभैयों ने ।

इन दिनों आशाराम बापू के तर्कवान चंपू यह तर्क स्खलित कर रहे दिखते हैं कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए । (बापू माफ करना , मजबूरी है, जमाना ही चिरकुट है, लोग पहले ही बापू, भैया, मां जोड़कर पूरी दुनिया को अपना खानदान बना डालते हैं)  मीडिया को रह-रह कर गरिया-गलिया रहे हैं, लपड़ा-थपड़ा रहे हैं, मानो बेचारा कानून मीडिया की वजह से मूर्च्छित पड़ा है , अपना काम नही कर पा रहा ।

तरंग घोटाले में आरोपी राजा जी जेल से हाल ही में निकले । कानून पर पूरा भरोसा जताने से वो भी नही चूकते । यानि कि जिसको देखो सब कानून पर भरोसा जता रहे हैं। आखिर ऐसा क्या है इस देश की न्याय व्यवस्था में और कानून में जो राजा भैया से लेकर पप्पु यादवों तक को और ए-बी-सी राजाओं से लेकर आशाराम भगंदरों तक को खूब रास आ रही है ?

अक्सर लिखा हुआ देखता हूं कि कानून के हाथ लंबे होते हैं , भगवान के घर में देर है अंधेर नही, ऊपरवाले की चक्की बारीक पीसती है और अलां फलां । इन दिनों अक्सर लगता है ऊपरवाला यदि है तो पीकर पूरी तरह टल्ली है और कानून है कि सेल्फ-कांफिडेस के अभाव का मारा है।



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